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उद्यदिन्द्रो॑ मह॒ते दा॑न॒वाय॒ वध॒र्यमि॑ष्ट॒ सहो॒ अप्र॑तीतम्। यदीं॒ वज्र॑स्य॒ प्रभृ॑तौ द॒दाभ॒ विश्व॑स्य ज॒न्तोर॑ध॒मं च॑कार ॥७॥

English Transliteration

ud yad indro mahate dānavāya vadhar yamiṣṭa saho apratītam | yad īṁ vajrasya prabhṛtau dadābha viśvasya jantor adhamaṁ cakāra ||

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Pad Path

उत्। यत्। इन्द्रः॑। म॒ह॒ते। दा॒न॒वाय॑। वधः॑। यमि॑ष्ट। सहः॑। अप्रतिऽइतम्। यत्। ई॒म्। वज्र॑स्य। प्रऽभृ॑तौ। द॒दाभ॑। विश्व॑स्य। ज॒न्तोः। अ॒ध॒मम्। च॒का॒र॒ ॥७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:32» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:33» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (यत्) जो (इन्द्रः) राजा (महते) बड़े (दानवाय) दान करनेवाले के लिये (वधः) वध को (उत्, यमिष्ट) उत्तम नियम करे और (यत्) जिस (अप्रतीतम्) अधर्मिजनों से नहीं प्राप्त हुए (सहः) बल को (ईम्) सब ओर से (वज्रस्य) शस्त्रप्रहार के (प्रभृतौ) उत्तम प्रकार धारण करने में (ददाभ) नाश करता और (विश्वस्य) सम्पूर्ण (जन्तोः) जीवमात्र के मध्य में (अधमम्) नीचा (चकार) करता अर्थात् जो सब पर अपना आक्रमण करता है, उसको जान के उत्तम प्रकार प्रयोग करो अर्थात् उससे प्रयोजन सिद्ध करो ॥७॥
Connotation: - हे राजा आदि जनो ! आप लोग सूर्य्य के सदृश वर्त्ताव करके राज्य की अधमदशा का निवारण करें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यद्य इन्द्रो महते दानवाय वधरुद्यमिष्ट यदप्रतीतं सह ईं वज्रस्य प्रभृतौ ददाभ विश्वस्य जन्तोरधमं चकार तं विज्ञाय संप्रयुङ्क्ष्व ॥७॥

Word-Meaning: - (उत्) (यत्) यम् (इन्द्रः) (महते) (दानवाय) दानकर्त्त्रे (वधः) वधम् (यमिष्ट) नियच्छेत् (सहः) बलम् (अप्रतीतम्) अधर्मिभिरप्राप्तम् (यत्) यः (ईम्) सर्वतः (वज्रस्य) शस्त्रप्रहारस्य (प्रभृतौ) प्रकृष्टधारणे (ददाभ) हिनस्ति (विश्वस्य) समग्रस्य (जन्तोः) जीवमात्रस्य मध्ये (अधमम्) (चकार) करोति ॥७॥
Connotation: - हे राजादयो जना यूयं सूर्य्यवद्वर्त्तित्वा राज्यस्याऽधमां दिशां निवारयत ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - हे राजजनांनो! तुम्ही सूर्याप्रमाणे वागून राज्याच्या निकृष्ट दशेचे निवारण करा. ॥ ७ ॥